ऐ गुस्ताख , चाँद की झूठी चाँदनी पर ऐतबार न करदुनियां परायो की है अपना […]
दूर रहो हमसे मुझे राह चलते मुसाफिरों से बात करना पसंद नहीं…..उसने कहा और हमे […]
यहाँ इंसानो को इंसानो से बात करना नहीं आता और गुनी तूने,….तस्वीरो की जुबाँ सीखनी […]
तेरी अदाएं इन्हें आती हैं
ये मौसम, ये हवाएँ, ये फिजायें भी अकसर तेरी याद दिलाती हैसच बता, कोई रिश्ता […]
कोई नवातार लिखो
जागो ऐ युवाओ, अब तुम शेरो की ललकार लिखोचीर सके पत्थर का सीना ऐसी अब […]
ख़त
जिंदगी के इस विद्यालय में एक सुनहरा अक्षर भी होता तो कोरे कागज पर पूरा […]
याद आएगी मेरी बात
तुम ख़ास हो हम हैं ख़ाक कहाँ मुमकिन है मुलाकातफिर भी चाहत के भरोसे रोशन […]
गुनी अपने पैरो की छाप न छोड़ा करो लोग इन्हें मसल कर चले जाते हैं […]
कई जनो को ढूंढता रहा
गलती थी मेरी जो मैं अजनबी चेहरों में अपनों को ढूंढता रहाअँधेरी काली रात थी, […]
गाज लिखेंगे
नयी जगह नया सवेरा नए सवेरे में दिल के सारे राज लिखेंगेखुदको दीप बना करेंगे […]