भारत की सीमा पर जब बेटा कोई शहीद हो जाता है
कहाँ छुप जाता राजकोष, कहाँ हिन्द सो जाता है
क्या दिल्ली को माँओ की पुकार सुनाई नहीं देती
क्या नारी की टूटी चूड़ी भी इन्हें दिखाई नहीं देती
राजधानी हमारी इतनी बुझदिल कैसे हो जाती है
चिताओ की आग नहीं बुझती, दिल्ली सो जाती है
देश की खातिर जिसने बाजी खुद जान की लगा दी
जिसने दाव पर खुशियाँ, सारे खानदान की लगा दी
उस वीर को भुलने में दिल्ली तनिक भी कसर नहीं छोड़ती
दी होती अनुमति तो सेना उस पार कोई नगर नहीं छोड़ती
कहाँ छुप जाता राजकोष, कहाँ हिन्द सो जाता है
क्या दिल्ली को माँओ की पुकार सुनाई नहीं देती
क्या नारी की टूटी चूड़ी भी इन्हें दिखाई नहीं देती
राजधानी हमारी इतनी बुझदिल कैसे हो जाती है
चिताओ की आग नहीं बुझती, दिल्ली सो जाती है
देश की खातिर जिसने बाजी खुद जान की लगा दी
जिसने दाव पर खुशियाँ, सारे खानदान की लगा दी
उस वीर को भुलने में दिल्ली तनिक भी कसर नहीं छोड़ती
दी होती अनुमति तो सेना उस पार कोई नगर नहीं छोड़ती