माफ़ करना बहना, राखी पर तुमसे दूर हूँ
पर क्या करूँ मैं भी हालातो से मजबूर हूँ
दर्द तो है मगर सच कहता हूँ रोता नहीं हूँ
क्योंकि अब मैं बनावट के लिए मशहूर हूँ
इस देश में तुझसे लंबी दूरियां जो कर ली
सिर्फ और सिर्फ इसकी, थकान से चूर हूँ
ख्वाईश तो थी मेरी , लाल हरी राखी की
आ नहीं सका क्योंकि मैं सिर्फ मजदूर हूँ
राखी को सिर्फ एक धागा, मान लूं कैसे
तुम्हें भी पता है न पागल हूँ न मगरूर हूँ
कवि, तो कभी इंजीनियर जाने क्या क्या
कुछ भी ना सही मगर तेरा भाई जरूर हूँ
#गुनी…