छोटी सी कोशिश गौर फरमाईये … कुछ इस तरफ
निकला था दुआओं को साथ लेकर मगर वो परिंदा नहीं आया
कितना रोती है माँ तब जिसका लौटकर बेटा जिंदा नहीं आया
मत पूछो मुझसे किस्से कहानी देश के जवानो की जांबाजी के
ईंट का जवाब पत्थर से दे दिया, लौटकर वो दरिंदा नहीं आया
क्या कीमत चुकाएगा कोई नौजवानो ने जमीं को लहू से सींचा
अरे जो आया बड़ा महंगा आया , कोई हिस्सा मंदा नहीं आया
जब भी जिसने भी बयां करनी चाही खूबसूरती मेरे भारत की
खूबसूरत ही बताता गया जुबां पे उसकी शब्द गंदा नहीं आया
जालिम बेशर्म काफ़िर बेसक ले गए शीश काटकर जवानो के
सर कटा दिए सरहदों पर, मगर वीर होकर शर्मिंदा नहीं आया
और क्या होती होगी होली – दिवाली बिना रंग और पटाखों के
जब जो घर का चिराग था , रात भर सिर्फ वो बंदा नहीं आया
#गुनी….