कुछ ही समय पहले की बात है दोस्तो, एक नगर मे एक राजा हुआ करता था। राजा बहुत ही पराक्रमी और बुद्धिमान था। समय के साथ साथ, राजा का राज्य और बुढ़ापा दोनो बढ़ते गए, अब राजा की हालात ख़राब होने लगी। उसमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह पूरा राज्य अकेला सम्भाल सके।
एक दिन राजा शिकार करने के लिए जंगल मे गया। वहां राजा अपनी सेना और मंत्रियो से बिछड़ गया, कि अचानक जंगली जानवरो ने उसे घेर लिया तभी एक अजनबी जंगली आदिवासी ने आकर राजा के प्राण बचा लिए।
राजा ने उसी समय उस आदिवासी को अपना मित्र बना लिया और अपने साथ अपने दरबार मे ले गया। धीरे धीरे राजा का विश्वास आदिवासी पर बढ़ता गया और जब राजा का अंतिम समय नजदीक आया तो राजा ने अपना राज्यभार आदिवासी की सौंप दिया और राजा मुक्ति को प्राप्त हो गया।
अब आदिवासी को राज्य चलाना नहीं आता था तो कुछ ही समय मे सारा राज खजाना खाली हो गया। तो आदिवासी ने सब बेचना शुरू कर दिया और अपना पेट भरता रहा। आखिरकार सब खत्म हो गया अब उसके पास सिर्फ उसके ताज के कुछ भी न था।
उसे ये बिल्कुल मालूम नहीं था कि लोग उसकी इज्जत इसी ताज की वजह से करते हैं तो उसने ताज भी बेच दिया और अंततः आदिवासी का राज्य का सर्वनाश हो गया।
तो दोस्तो सबक ये हैं,
कि कोई आपका साथ दे इसका ये अर्थ नहीं कि वो बहुत अच्छा है और ये तो बिल्कुल नहीं की वह कि राज्य की योग्यता रखता हैं
राजा ने बिना आदिवासी की निपुणता जाँचे ही उसे ताज थमा दिया जिसका परिणाम नाश हुआ अतः हमे किसी को भी बिना कारण ही ताज नहीं पहनाना चाहिए ताज उसी को दो जो उसके काबिल हो
अंत मे, जीवन मे फैंसले सोच समझकर लेने चाहिए।
#गुनी…