मित्रो मौहब्बत में धोखा खाने वालो की कमी नहीं है जग में धोखा खाया हो न खाया हो किसी ने चाहे और अनचाहे किसी से उम्मीद रख लेते हैं हम और आप इसी पर एक पंक्ति से मुक्तक की कोशिश है मेरी…
वजह तो मौहब्बत की होती थी अब नफरत की तो बस मजबूरी है
कहानियां तो कल लिखी थी मैंने, अब तो मेरी हर कहानी अधूरी हैं
बस कोशिश करूँगा अब से किनारा कर लूँ मैं इन तूफानी लहरों से
तेरा लिखा वो ख़त रखूँगा संभालकर अभी जिन्दगी बितानी पूरी है
#गुनी…