बचपन नादान दो

मेरा तो बचपन ही अच्छा था जब न धर्म था न जात थी जब देखा खेलने निकल पड़े अपने दोस्तों के साथ न कोई चिंता न कोई गम बस दोस्त दोस्त है न गरीब है वो न अमीर है वो आज लगता है कि तब जितने लोग गरीब हैं उनके लिए जरुर कुछ करना चाहता था मैं और आज ….क्या हाल है पूछना भी ध्यान नहीं रहता?

कौन कहता है, मुझे ऊँचा सिंघासन और मान सम्मान दो
मत दो मुझे सारा जहान , बस मुझे तो मेरा हिंदुस्तान दो
न गरीब गरीब दीखता है बस धर्म जात ईमान दीखता है
रखो ये बड़प्पन जवानी तुम, बस मुझे बचपन नादान दो

#गुनी…!

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