बेवक़्त आती हो , कैसी प्रीत हो गई हो
कभी गजल तुम , कभी गीत हो गई हो
मैं भूल बैठा हूँ , रिश्ते नाते सभी तो
जाने कैसी मेरे दिल की मीत हो गई हो
सुन पाता हूँ ना कोई धुन गुनगुनाता हूँ
तुम जो मेरी खातिर , संगीत हो गई हो
सफर अधूरा ये छोड़कर जाने लगी हो
सच कहो क्या तुम भयभीत हो गई हो
देख लोगी तुम, मेरे होठो मुस्कुराते हुए
जैसे गुनी की, विश्व पर जीत हो गई हो
#गुनी…