जब कोई चीज मुझे हासिल करनी है तो मतलब किसी भी हद तक जाकर करनी है तो Dedication तो खुद आएगा और अगर नहीं आता मतलब मुझे वो चीज़ हासिल नहीं करनी
मुझे पता है करनी है मगर मेरे जहन को नहीं और जिस दिन जहन को पता लग गया तब Dedication भी खुद आ जायेगा और डर हिम्मत में बदल जायेगा और अगर ऐसा न हुआ तो मैं अपने जहन को मना लूँगा कि तुम्हारा निर्णय गलत था
जानते हैं ऐसा क्यूँ नहीं
क्या आपने किसी टाइपिस्ट को देखा है ?
शुरू में उसे पता होता है कि a b c d कहाँ है लेकिन टाइप नहीं होता पता है क्यूँ ?
क्यूंकि टाइप टाइपिस्ट नहीं उंगलियाँ करती हैं उसकी उंगलियों को अब पता होता है कि a b c d कहाँ है
इसी तरह हासिल मुझे नहीं मेरे जहन को करना है तो उसे पता लगने का इंतज़ार करूँगा या उसे बताऊंगा कि उसे हासिल करना है
#गुनी …