चींख रहा मेरा हिंदुस्तान

चींख रहा मेरा हिंदुस्तान, इस यमन की शांति के लिए

बज उठा बिगुल है, मिठाने जातिवाद की भ्रांति के लिए 

देखो उन वीरो ने भी अपने प्राण यूँ ही गवा दिए

उन माँ ओ ने अपने पूत रात्रि निंद्रा से जगा दिए
उस माँ ने तो न सोचा था, की ये हिंदुस्तान है
यहाँ हिन्दू, सिख इसाई और हर 
दूसरा तीसरा शक्श एक मुसल्मा है


आज मैं बताता हूँ,
उस औरत का गौरव कितना बढ गया
जिसका शोहर रणभूमि में हीरा सा जड़ गया
शायद वो मरने वाला हिन्दू या इसाई हो सकता है
पर क्या उस बहते खून को देखकर आप में से कोई बता सकता है

सोचो जरा उन बहनों के बारे में
जिनकी चूडियो की झनकार वक़्त से पहले बंद हो जाती है
शादी की वो मीठी खवाइश
भाई के आने की उम्मीद में दबी दबी सी रह जाती है
आप सोचते होंगे कि वो किसी सरदार की बेटी होगी
पर क्या दावा कर सकते हो की अगली बरी मेरी या तेरी न होगी

आप भी सोच रहे होंगे की न जाने क्यूँ
में इधर उधर की हांक रहा हूँ
पर यकीं मानिये मैं आपके साहस को आपके गुस्से को
आपकी नजरो और तालियों से भांप रहा हूँ

मगर इस गुस्से से यूँ ही काम नहीं चलेगा
इन आँखों के मीठे रस को भुलना ही पड़ेगा
जो गरज रहे थे बादल बरसो से उन्हें बरसना ही पड़ेगा
आज इस देश की आवाम को जगाना ही पड़ेगा

तभी तो निर्माण होगा साफ़ स्वच्छ संसार का
प्रगति के आधार का
आओ जोर की एक आवाज उठाओ
हिन्दू, सिख, इसाई, मुसल्मा सब एक धर्मं है
कुछ छुट गया हो, तो ये आपका भ्रम है
मैंने सब कुछ कहा दिया
अब इस अभिशाप को मिटाना, आप ही का कर्म है

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