एक दफा ऐतबार तो कीजिए

लो भैया हाज़िर है ये अदना सी कोशिश … इस छोटी सी कलम को आपका आशीर्वाद यूं ही मिलता रहे … आपकी और हमारी मौहब्बत यूँ बनी रही 🙂

मौहब्बत हो जायेगी, इक दफा ऐतबार तो कीजिए
हर एक गुनाह माफ़ आप जरा इकरार तो कीजिए

दिल का दिल से दोस्ती का वक़्त हो चला है , अब
इंतजार में है हम और दिल भी इजहार तो कीजिए

समंदर में डूब कर निकलेगा या टूट कर निकलेगा
जरा कम्बख्त दिल को आप होशियार तो कीजिए

मौहब्बत तो आपकी भी, मुकम्मल लिखी जायेगी
बशर्ते हमारी खातिर , खुद को बेकरार तो कीजिए

हर बेकरारी का जवाब है, मौहब्बत की किताब में
थोड़ा सा ही अपनी बारी का , इंतजार तो कीजिए

सांसो से बगावत की , नींद को दूर रखा है खुद से
जान भी ले लेना ,  पहले गुनी से प्यार तो कीजिए

#गुनी…

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