हमारी तो जिंदगी, उसूलो पर चलती है साहब
ये तो दुनियाँ है, जो रोज रंग बदलती है साहब
गुजारिश है जरा अदब से पेश आया करो तुम
दिन में एक दफा तो, धूप भी ढलती है साहब
बेअसर होने लगती है कम्बख़्त बद्दुआएँ सारी
जब किसी दिल से , दुआ निकलती है साहब
ये हुनर कुछ ऐसा है, कि जान ले लेता है कई
पानी में जिस तरह , बर्फ पिघलती है साहब
मियाँ तुम किसी पर यूं ही , एतबार मत करना
दुनियाँ सारी की सारी, तुमसे जलती है साहब
#गुनी…