मैं खुद को खुद ही से बचाता गया
वो मेरा था ही नहीं, जिसे अपना बताता गया
टूटे सपने, कि टूटा ये मन जो मेरा
जब से टूटा है दिल, मैं खुद लड़खड़ाता गया
बगैर तेरे मुझे ना आता था जीना
मुमकिन न था बस मैं यूंही काम चलाता गया
जो कुछ भी था मेरे भीतर था वो
मैं नासमझी में मासूम खतों को जलाता गया
उसूल कहाँ होते हैं मोहब्बत के
गुनी इश्क में बस तेरी हाँ से हाँ मिलाता गया
#गुनी…