आदत भी तो है

फकीर हूँ मैं मगर, तू मेरी दौलत भी तो है

इस रास्तो पर मुश्किलें, शौहरत भी तो है
दरमियाँ हमारे दूरियों की मजबूरी है कई

कम्बख्त इन दिलो में , मौहब्बत भी तो है
वक़्त जाया , और जाया हो गयी जिंदगी

फिजूल है शायद, इश्क इबादत भी तो है
मत ना कर गिला तू किसी बात का मेरी 

हूँ खफा अगर, तो इसमें चाहत भी तो है
माफ़ कर एक दफा जो तकलीफ दूं तुझे

गुनाह है, पर तू गुनी की आदत भी तो है
#गुनी…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *