आज भंवर लगता है, जो कल तक किनारा लगता था
बताओ क्यों दुश्मन लग रहा जो कल प्यारा लगता था
पहर बटे, दिन बटे और हो रिश्ते का भी बंटवारा गया
कल तक तो शायद तुमको सब कुछ हमारा लगता था
मालूम नहीं मुझको तो, क्यों तुमको मैं खोटा लगता हूँ
तुम्हीं बताओ, तुमको तो मैं दुनियाँ में न्यारा लगता था
अब मुझसे उलझन मेरी बातों से सवाल पैदा हो जाते
तुमको कल तक तो मुझ में ही जहान सारा लगता था
चंद बातों की बातों में आकर, क्यों अकेला छोड़ दिया
मत भूलो तुम हूँ वही गुनी मैं तुमको तुम्हारा लगता था
#गुनी…