फिर वही तारीख वही रात मैं फिर से इंतजार में हूँ
तू ही बदल गयी, मैं आज भी अपने किरदार में हूँ
अब तो पूरा एक साल हो गया है पुरानी बातों को
मगर देख तो सही मैं अब तलक तेरे ही प्यार में हूँ
हिसाब तो बेशक बड़ा ही कमजोर है मेरा खुद का
दिल ने कहा जीत में हूँ, दिमाग कहता है हार में हूँ
सोचता हूँ , एक दफा याद करने में हर्ज ही क्या है
कम्बख्त ठीक क्या है गलत क्या है मैं विचार में हूँ
क्या मौहब्बत है गुनी, मैं क्या बताऊंगा किसी को
जाने कब से आज तक, खुद किसी मझधार में हूँ
#गुनी…