अश्क-ए-नैना मेरे इतने फिजूल नहीं कि मैं ऐसे ही इन्हें बहने दूँ
रिश्ते मेरे इतने भी कमजोर नहीं कि दोस्ती को मजबूरी कहने दूँ
मुझे किसी छत की जरुरत नहीं रहने को, मैं दिलो में रह लेता हूँ
खुदगर्ज नहीं हूँ, कि खुद छाँव में रह लूँ और तुझे धुप में रहने दूँ
#गुनी …