देश का बच्चा बच्चा जब भी देश प्रेम को गायेगा
मैं देखूंगा तुम भी देखना इन्कलाब आ जायेगा
माँ बाप बड़े बुजुर्ग और चले गए सब जो सहपाठी हो
नहीं बचा अब कोई हिन्दू मुस्लिम या कोई मराठी हो
क्यूँ दंगो को भड़का रखा इतना रोष फैलाया है
भाई भाई को लडवा रखा क्यूँ स्वतः होश लुटाया है
थोडा बुद्धि से सोचो लडमर कर तुमने क्या पाया है
क्या खायेगा बेटा जब तुमने एक सिक्का न खाया है
कहीं जमीं पर कहीं आसमां में आपस लड़ बैठे हो
कहीं अंहकार कहीं ऊँच नीच के फंदे में अड़ बैठे हो
क्यूँ बहकते बातो में ये सारे सियासी चमचे हैं
मरवा देंगे तुमको खामखा ये सारे ही तमंचे हैं
इनका क्या जायेगा मिटाकर तुमको ख़ुशी मनाएंगे
सोचो चले गए जो तुम, बच्चे खाना कहाँ से लायेंगे
किससे मांगेंगे क्या खायेंगे कहाँ वो जायेंगे
तरसेंगे पापा को, खुदा से आखिरी घडी मनाएंगे
अच्छा होगा जो समय के रहते तुम बदल जाओगे
पढ़ाकर उनको, बेटे बेटी का भविष्य बनाओगे
फिर जब वो बच्चा नन्हा सा तेरा खूब बड़ा होगा
छू लेगा उंचाईयो को, अपने पैरो पर खड़ा होगा
वो दिन फिर दूर नहीं जब भारत का नाम हो जायेगा
देश का बच्चा बच्चा अब बस देश प्रेम को गायेगा
मिलकर रहना भाई आपस में बस ये ही बतलायेगा
अब क्या जरुरत रह गयी बाकि जो इन्कलाब आएगा
देश का बच्चा बच्चा अब बस देश प्रेम को गायेगा
#गुनी …