दरोगा जी — अंक – 2

पिछले अंक में दरोगा जी थाने में चले गए थे और दरोगा जी की बीबी अभी भी बच्चे से बाते कर रही थी इसे समझ आ गया था कि बच्चा बहुत सच्चा है और हम सब एक हैं अब आगे…

दरोगा जी जैसे ही थाने में घुसे हवालदार एक अपराधी को डंडे से मार रहा होता है और पूछ रहा होता है

हवालदार – बता चोरी किसने की है ? बोल तूने ही की है न।
अपराधी – नहीं माई बाप मैंने इस बार चोरी नहीं की। मुझे जाने दो।
दरोगा जी – अबे क्यूँ मार रहा है इसे?
हवालदार – साहेब , दुर्गापूरी के इलाके में चोरी हुई है और ये पहले भी उस इलाके में चोरी करता हुआ पकड़ा गया है
दरोगा जी – अच्छा अच्छा ठीक है छोड़ दो इसे।

और दरोगा जी सर पर हाथ रख कर बैठ जाते हैं और हवालदार परेशान है कि दरोगा जी एक चोर को ऐसे ही कैसे छोड़ने को कह रहे हैं

हवालदार – दरोगा जी क्या हुआ? आज फिर घर पर लड़ाई हो गयी क्या?
दरोगा जी – हाँ भाई
हवालदार –  तो परेशान क्यूँ होते हैं आप। सब ठीक हो जायेगा।
दरोगा जी – अरे मैं इस बात को लेकर परेशान नहीं हूँ। दो दिन बाद रक्षा बंधन है और मेरी तो बस एक बहन थी वही एक दुर्घटना की शिकार हो गयी थी। उसी के बारे में सोचकर दुखी हूँ कि मैं उसे क्यूँ नहीं बचा पाया।

दरोगा जी दुखी होकर बैठ जाते हैं इतने में एक लड़की थाने में दाखिल होती है और उसकी आँखे लाल हो रखी थी।

लड़की – (चिल्लाते हुए) दरोगा जी मुझे बचा लो मुझे बचा लो मैं मर जाउंगी।
दरोगा जी – अरे अरे रो क्यूँ रही है ? चुप होकर बता क्या हुआ है?
लड़की – दरोगा जी मेरा भाई सुबह का निकला है अभी तक नहीं आया। घर में खाने को दाना नहीं था और मैंने उसे बस इतना कह दिया कि परसों रक्षा बंधन है और घर में एक दाना नहीं है मुझे क्या देगा ?
दरोगा – अरे जब तुझे पता था घर में खाने को कुछ है नहीं तो जरुरी था मांगना
लड़की – दरोगा जी मुझे नहीं पता था कि मेरे भाई को इतना बुरा लग जायेगा और वो बहार चला जायेगा।
दरोगा – अच्छा ठीक है तुम रिपोर्ट लिखवा दो हम उसे ढूंढ लेंगे।
लड़की – दरोगा जी वो मिल तो जायेगा न।
दरोगा -( थोडा हिचकते हुए ) हाँ हाँ

हवालदार रिपोर्ट लिख लेता है और दरोगा जी की परेशानी अब और बढ़ जाती है इतने में हवालदार आकर कहता है दरोगा जी क्या करना है अब …

दरोगा – करना क्या है ?… जाओ और जाकर ढूंढो उसे।

हवालदार चला जाता है और शाम को आकर कहता है दरोगा जी वो तो नहीं मिला और दरोगा जी की चिंता बढ़ जाती है सब घर चले जाते हैं और दरोगा जी थाने में बैठकर बस यही सोचते हैं कि लड़की के भाई को कैसे ढूंढा जाये।
उधर दरोगा जी की बीबी परेशान थी और सोच रही थी कि दरोगा जी अभी तक घर नहीं आये पता नहीं कहाँ गए होंगे।
दरोगा जी भी परेशान होकर थाने से निकल पड़े और राह में एक व्यक्ति मिला जो दरोगा जी की गाड़ी के सामने आ गया।

दरोगा जी – पागल है क्या ? मरने निकला है घर से।
व्यक्ति – नहीं बाबू जी कमाने निकला था।
दरोगा जी – तो फिर गाड़ी के आगे कोई फैक्ट्री है या ऊपर जाकर कमाएगा।
व्यक्ति – नहीं बाबू जी मैं खुद को रोक सकता हूँ खुद पेट की भूख रोक नहीं सकता लेकिन रह सकता हूँ लेकिन मालिक जब बहन मुझे राखी बांधेगी तो मैं उसे क्या दूंगा बस इसीलिए 2 पैसे कमाने निकल पड़ा हूँ।
दरोगा – पागल है तू, क्या राखी कोई सौदा है जो तेरी बहन राखी बांधेगी और तू उसे 2 पैसे दे देगा। अरे राखी तो प्रेम का रिश्ता। प्यार है भाई बहन के बीच का। अहसास है इस बात का कि भाई के बहन के प्रति और बहन के भाई के प्रति कर्तव्य होते हैं। मगर तुम लोग क्या इसे पैसो का धंधा बना रहे हो अरे क्या फायेदा ऐसी राखी का जो केवल इसलिए बांधी जाये कि बस 2 पैसे दे देगा भाई।
व्यक्ति – दरोगा जी आप सही कह रहे हो लेकिन आपने मुझे तो समझा दिया लेकिन मेरी बहन वो मेरी राह देखेगी मुझे राखी बांधेगी इसी उम्मीद से कि उसका भाई उसे कुछ देगा। आज तो हर बहन ऐसा सोचती है जनाब।
दरोगा – अच्छा चल मुझे घर लेकर चल अपने साथ मैं समझाऊंगा उसे।

व्यक्ति उसे अपने घर लेकर चल दिया घर जाकर दरोगा ने व्यक्ति को बहार खड़े रहने को बोला और खुद अंदर चला गया और अंदर जाकर उसे वही लड़की मिली जो आज सुबह ही थाने में आई थी।

दरोगा जी – तुम्हारा भाई …..? और दरोगा जी रुक गए।
लड़की – हाँ हाँ मेरा भाई मिल गया गया क्या दरोगा जी।
दरोगा जी – नहीं वो नहीं मिला लेकिन अभी पता लगा दूर जंगल के आस पास एक लाश मिली है और हमें शक है वो तेरा भाई तो नहीं है।
लड़की – नहीं नहीं दरोगा साहेब ऐसा मत कहो।

और लड़की फूट फूट कर रोने लगी। दरोगा जी ने इतने में लड़के को बुला लिया। लड़की चुप हो गयी और दरोगा जी को डांटने लगी आपने मुझे झूठ क्यूँ बोला। अचानक लड़की का दिमाग दुबारा ठनका और भाई से बोली

बहन – क्या रे कहाँ गया था तू?
भाई – तेरे लिए 2 पैसे कमाने गया था।
बहन – अच्छा तो क्या लाया मेरे लिए।
भाई – कुछ नहीं ला पाया।
बहन – फिर क्या देगा मुझे?

लड़का रोने लगा और दरोगा जी जो सब सुन रहे थे बोले
तेरी अभी भी समझ नहीं आया पागल तेरा भाई अगर कहीं चला जाता और उसे कुछ हो जाता तो क्या तो भी तो इससे उंही पैसे मांगती अरे पागल मान जा सुधर जा भाई बहन का रिश्ता प्यार का रिश्ता है अटूट रिश्ता है इसे पैसो से मत तौलो और ये प्यार हजारो लाखो पैसो से भी बढ़िया है ।

लड़की – दरोगा हम समझ गए हैं भाई और बहन का रिश्ता तो वो रिश्ता है जिसे 2 पैसे देखर नहीं निभाया जा सकता ये तो रिश्ता है प्यार अहसास है भावनाओ का अपनेपन का ये अहसास है इस बात का कि बहन के क्या कर्तव्य हैं अपने भाई के प्रति और भाई के बहन के प्रति। आज से मैं अपने भाई से कभी राखी के बदले पैसो की इच्छा नहीं रखूंगी।
लड़का – हाँ दरोगा जी अब मैं भी अपनी बहन के प्रति सभी कर्तव्य को निभाऊंगा और उसकी रक्षा का दायित्व उठाऊंगा।
दरोगा – अच्छा है मैं खुद की बहन को नहीं बचा सका लेकिन मैंने तुम दोनों को मिलवा दिया रिश्तो का अहसास करा दिया यही मेरे लिए रक्षा बंधन है और फिर तुम भी तों बहन जैसी ही तो है।

मित्रो लीजिये ये लड़की और लड़का तो समझ गए कि कोई ऐसा रिश्ता नहीं जो पैसे लेकर या देकर निभाया जाये लेकिन पता नहीं क्यूँ हम सब तो पागल हुए जा रहें हैं जो भाई जितना शगुन देगा वो उतना अच्छा भाई मतलब ज्यादा से ज्यादा शगुन दो और बन जाओ बढ़िया वाले भाई। और बहनों में होड़ लगी है मैं 50 वाली बांधुंगी और मैं 100 वाली अरे भाई ये राखी है कोई फैंसी चैन या हार नहीं जिसे सज्जा के लिए पहना जाये।
तो भाइयो और बहनों अपनी गलती को सुधारो और ये पैसो का खेल छोड़ भावनाओ का रिश्ता बनाओ

इसी निवेदन और कामना के साथ दरोगा जी की सीख देय कहानी जल्द हाजिर होगी …

#गुनी …

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