मोहब्बत की ख्वाईश है मेरी दुनियादारी नहीं चाहिए
जरा सादगी से पेश आओ ये अदाकारी नहीं चाहिए
एहतियात से सुनो तुम अपना दिल अपने पास रखो
एक है तो मेरा, मुझे तुम्हारी कोई उधारी नहीं चाहिए
जो दिल में हो जुबां पर हो, आईने की तरह साफ हो
आग ही आग है मगर, कोई नई चिंगारी नहीं चाहिए
घर की दहलीज़ के भीतर मेरी माँ को माँ कह दे बस
मुझे वो इससे थोड़ी भी ज्यादा संस्कारी नहीं चाहिए
दिल के रिश्तों में दीवारें, बनकर उभरने लगती हैं जो
मुझको हमारे दरमियाँ ऐसी कोई ख़ुद्दारी नहीं चाहिए
जब तलक वो तुम्हारा खुदा है, तब तक तुम खुदा हो
जाने दो ‘गुनी’ अब ऐसी भी तुमको यारी नहीं चाहिए
#गुनी…