जिंदगी का हर पल राज हो गया है
क्या था कल, क्या आज हो गया है
धुंधला-धुंधला लगने लगा है मौसम
बदला बदला सा मिज़ाज़ हो गया है
हर शख़्स की जुबां पर तौहीन मेरी
जाने क्या सुर क्या साज हो गया है
जो कफन किसी का दर्द है, शायद
किसी के वास्ते सरताज हो गया है
मुद्दत से मुलाकात नहीं हुई है मेरी
शायद मेरा खुदा नाराज़ हो गया है
सूरज से जलने का डर भी है मुझे
मगर सुबह का आग़ाज़ हो गया है
#गुनी…