लगने लगे जो डर, डर बात बात पर
तो बच्चो वाली नादानी याद कीजिए
दुश्मन हो सामने, हौसला लगे गिरने
फिर झांसी वाली रानी याद कीजिए
गम में हो कभी या हो सुकून कमी तो
दादी वाले किस्से-कहानी याद कीजिए
उपकार इस माटी के लगो जो भूलने
वीर सपूतों की जवानी याद कीजिए
–गुनी