मेरे भीतर ये बिना इज़ाजत धड़कता, कौन है
आईने में उतर आता मुझसा, तू बता, कौन है
कम्बख़्त , चला जाता है छोड़कर अक्स मेरा
अहम रिश्तों की अहमियत समझता, कौन है
रोशनी की तलाश में जलने की आरजू है मेरी
औरो की खतिर अब दिए सा जलता, कौन है
खुद बनाता हूँ रास्ते, खुद चल लिया करता हूँ
उड़ान के इस दौर में जमीं पर चलता, कौन है
लोग कहते आएं हैं , हालात बदलते हैं ‘गुनी’
तुम्हें तो मालूम है, असल में बदलता, कौन है
#गुनी…