कल-आज-कल

भावुकता की पंक्तियाँ
शुरू में कोई मिले अजनबी ही सही अच्छा लगता है वही अजनबी ख़ास बनकर गम देता है….! असल में ये चार पंक्ति सारांश हैं कल आज कल का

काश मैं मिलता तुमसे फिर से एक अजनबी की तरह
ये गम भी न होता जो मिलता एक अजनबी की तरह
बेसक तुमने चाहा था इस अनजान को मुरादो से घनी
मालूम होता आज कभी न मिलता अजनबी की तरह

#गुनी …

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