लिखता हूं मैं उन सबके लिए

लिखता हूं मैं उन सबके लिए जिन्होने इतने उपकार किए

बहती नदी से, ठहरे सागर सम्राट बना दिए

वो गुरू हमारे, ज्ञान देवी से मिला दिए

बुझे चिराग तले, सूरज सा उजयाला ला दिए

लिखता हूं मैं उन सबके लिए जिन्होने इतने उपकार किए

उगते पौधे का, बढता वृक्ष महान बना दिए

वो मात पिता, गिरकर चलना सिखला दिए

ज्वाला से तपते पर, चांद सी शीतलता ला दिए

लिखता हूं मैं उन सबके लिए जिन्होने इतने उपकार किए

पत्थर काले कोयले से, चमकता हीरा स्वेत बना दिए

वो प्यार मेरा, भुला कूट प्रेम करना बतला दिए

दहले सुनामी में, सागर सी सात्वना ला दिए

लिखता हूं मैं उन सबके लिए जिन्होने इतने उपकार किए

कडु करले को, स्वादिष्ट फल मीठा बना दिए

वो मित्र हमारे, दुनिया दर्शन करा दिए

छोटे से कंकड में, चटटान सी महानता ला दिए

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *