सभी को प्रणाम….यात्रा आनंदमयी है सुखद है
आज सुबह जब आँख खुली तो क्या देखा मुक्तक से बताने की कोशिश … अच्छा लगे तो बालक को आशीर्वाद दें
जो आँखें खुली गहरी निंद्रा से , तो रेल पहुँच गयी थी भोपाल
मैंने खूब सोचो थोडा विचारा, तब मेरे मन में उठा एक सवाल
कैसी होगी माँ मेरी अब मेरे बिन, जिसे छोड़ वहाँ मैं आया हूँ
आंसू लगे झरने, जब याद आया माँ रखती थी कितना ख्याल
#गुनी…