मेरे गुनाहो की सज

मेरे गुनाहो की सजा ,  इस तरह दी जालिम ने
जिंदगी का वायदा करके पल में दूर कर दिया

जो किया करता था हर पल उसी की इबादत
कमबख्त उसे भी भूलने पर मजबूर कर दिया

हमने उसके लिए, महल खड़े किये ख्यालो में
उसने फिजूल समझा , तोड़कर चूर कर दिया

कौन जाने मियां , किस तरह का किया जादू
हमें इंसान भी न छोड़ा खुद को हूर कर दिया

आजकल किस्से बताती है, वो मेरे औरो को
कैसे वो शेरनी हुई और मुझे लंगूर कर किया

क्यों जरा भी तरस नहीं आया इस मासूम पे
अब बताओ तो , हमने क्या कसूर कर दिया

#गुनी…

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