मुझे चुप कराने आती

मैं रोज रूठ जाता, गर वो मुझे मनाने आती
मैं इतना न सताता, गर वो मुझे सताने आती
मैं भी जी लेता सुकून के दो दिन रात दोस्तों
मेरे रोने पर, गर खुद वो मुझे चुप कराने आती

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