आज गाँधी जयंती के शुभावसर पर मैं मेरे प्रिये मित्र Gaurav Kumar जी और भाई Robin Arora जी रक्तदान के लिए पहुंचें आज एक बार फिर रक्तदान कर दिल को बेहद ख़ुशी मिली और साथ ही एक चेतना का संचार भी प्रतीत हुआ और इसी पर आज की कुछ पंक्तियाँ
एक नयी सोच और सपनो को उडान मिल जाती है
दिल में बसाकर अजनबी को पहचान मिल जाती है
सच में रक्तदान से बढकर नहीं है , कोई दान देश में
देकर दो बूंद खून की अपनों को जान मिल जाती है
#गुनी…