सेना का सिपाही हूँ

कभी अपने घर की खिड़की खोलकर देखा है
मुझपर ऊँगली उठाते हो कभी नेता जी को बोलकर देखा है
ये मत सोचना मैं बाज़ार में खड़ा ठेले वाला हूँ
गुड्डे गुडिया की दुकान लगाता मेले वाला हूँ
मेरे घर में भी बीबी, माँ और बहन रहती है
मुझे फिर भी कठिनाईयां करनी सहन रहती हैं
फिर मत सोचना मैं परीक्षा देता कोई विधार्थी हूँ
कारोबार में लगा पड़ा कोई लाभार्थी हूँ
हाँ मुझे भी खुद के जीवन के रंग बहुत भाते हैं
वैसे तो समय बिताने के तरीके मुझे भी बहुत आते हैं
पर एक बार फिर बताता हूँ चुपचाप कलाकृति करता कलाकार नहीं हूँ
मुझे एक झटके में पहचान लो इतना बढ़ा रखता आकर नहीं हूँ
अरे मुझे जगलो और बीहड़ो में रहना आता है
बारिश में बिना छत के सर बचाना आता है
अब मैं जंगली आदिवासी नहीं हूँ
किसी और गृह से आया कोई प्रवासी नहीं हूँ
अगर अब तक नहीं पहचाना तो पहचान जाओगे
मेरी सारी हकीकत जान जाओगे
मैं एक एक करके सब बताता हूँ
अपनी माँ पर अपना हक़ जताता हूँ
मुझे नहीं आता नहीं आता सर झुकाना
नहीं आता मुझे पीठ दिखाना
मुझे नहीं आता चंद पैसे में बिक जाना
मुझे आता है तो सिर्फ सर कटाना
भारती का बेटा हूँ छाती ठोककर बताना
राष्ट्रवाद की खातिर लहू पानी सा बहाना
अब तो पहचान ही लिया होगा
मैं कौन हूँ जान लिया होगा
नहीं तो सुनो मैं माँ भारती की औलाद हूँ
बचा रहा हूँ बचाता रहूँगा मैं फौलाद हूँ
रात भर टिमटिमाता तारा हूँ
सबको एक जुट करता भाई चारा हूँ
भारत को ऊँचा दिखाता मैं हिमालय हूँ
हिमालय को पवित्र करता शिवालय हूँ
मैं तिरंगे का केसरिया सफ़ेद और हरा रंग हूँ
मानवता भलाई का ढंग हूँ
मैं सन 47 सन 71 की जंग हूँ
हर भारतीय युवा की उमंग हूँ
मैं जम्मू में पत्थर खाने वाला हूँ
उतराखंड में जान बचाने वाला हूँ
मैं माँ की इज्जत उसका मान सम्मान हूँ
अरे तेरा भी मैं अभिमान हूँ
जिसपर सोता है चैन से उस खाट की मैं बाही हूँ
अरे मुर्ख अब तो पहचान मैं सेना का सिपाही हूँ

#गुनी…

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