सपनो के सौदे से मुझको क्या मिल पाया है
माँ ने बचपन में मेरे मुझको झुला झुलाया है
पापा ने कहकर बेटा मुझको, गले लगाया है
इसी कर्ज में डूब रहा हूँ, सपनो के सौदों से जूझ रहा हूँ
सोच रहा हूँ, क्या बेटा उनका, कोई सपना पूरा कर पाया है
सपनो के सौदे से मुझको क्या मिल पाया है
माँ ने प्यार में मुझको, डॉक्टर बनना सिखलाया है
पापा ने मुझको मेरे ताज इंजिनियर का पहनाया है
उन्ही रिश्तो को निभा रहा हूँ, सपनो के सौदों से जीवन सजा रहा हूँ
चिंतित हूँ, क्या बेटा उनका बनकर बेटा, सपनो को हकीकत कर पाया है
सपनो के सौदे से मुझको क्या मिल पाया है
ख़ास नहीं थी मेरी वो, देखो अनजान से रिश्ता बनाया है
अपनों से ज्यादा प्यारी न थी, उसको दिल से अपनाया है
उन प्यार भरी यादो में मैं रो रहा हूँ, खुद को खुद में ही बेकदर खो रहा हूँ
पूछ रहा हूँ खुद से, क्या माथे का सिन्दूर कभी दिल की धड़कन बन पाया है
सपनो के सौदे से मुझको क्या मिल पाया है
सब लोग मेरे अपने न थे, फिर काम “गुरु” ये सबके आया है
मरना तो मुझको भी आता है यारो, पर जीना ही बतलाया है
फायेदा मेरी इस कमजोरी का सब उठा रहे हैं, खेल खेलकर ठुकरा रहे हैं
जान रहा हूँ, इन्सान हो गया विद्वान्, मगर इन्सान नहीं बन पाया है