तुझे मांग लूँ मैं, जो खुदा से मुलाक़ात हो जाए
ख़ामोशी भी मंजूर है , जो तुझसे बात हो जाए
यकीनन ये मौहब्बत मुकाम को हासिल करेगी
जो एक दफा इश्क की कोई शुरुआत हो जाए
मेरा कैद कर लेने का , है इरादा उन लम्हो को
महज फिर से वही दिन और वही रात हो जाए
मुहब्बत के फरिश्तो के दरमियां दूरियां न होंगी
जो जहान में सब एक धर्म – एक जात हो जाए
जिंदगी के इस सफर का कुछ फासला तय हो
जो हर ख़ुशी – हर गम में तू…मेरे साथ हों जाए
#गुनी…