तुम गीता, तुम कुरान भूल जाओगे

धर्म की आड़ में झूठ और मक्कारी से भरी राजनीति और मंचो से नफरतों का भयानक तूफ़ान यही आज का सच है शायद, लेकिन एक हकीकत ये भी है परीक्षा कोई भी हो परिणाम दो ही हो सकते हैं सकारात्मक या नकारात्मक और कोई भी परीक्षार्थी यदि एक ही परिणाम का आदि हो जाये और अचानक उसका परिणाम उसकी अपेक्षाओ से भिन्न हो तो उसके पर उसका खुद बोझ नहीं उठा पाते और पैरों तले जमीन का अहसास उसे जल्द ही होने लगता है। माफ़ कीजियेगा…! यह कोई टिप्पणी नहीं है और ना मैं इस काबिल हूँ और ना हकदार, बस कुछ एक पंक्तियों का मन हुआ और लिख दी, पढियेगा।

इस मिट्टी की सुंगध ऐसी है , सारा जहान भूल जाओगे
इश्क सीख लोगे अगर , हिन्दू, मुसलमान भूल जाओगे
जिस दिन पढ़ लोगे तुम, सिर्फ एक हर्फ इंसानियत का
देख लेना यकिनन, तुम गीता, तुम कुरान भूल जाओगे

#गुनी…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *