भैइए सच्ची सच्ची बात कह रिया हूँ
इश्क में हाज़िर जज्बात कह रिया हूँ
इश्क में हाज़िर जज्बात कह रिया हूँ
इतनी बदसलूकी हुई है इस नादां से
दिन को मैं , आधी रात कह रिया हूँ
दिन को मैं , आधी रात कह रिया हूँ
ये मौहब्बत का कबूतर हो गया ऐसा
मैं मईयत को भी बारात कह रिया हूँ
मैं मईयत को भी बारात कह रिया हूँ
नशे हूँ मैं शायद, उसके नूर के आगे
सारी चमक को, खैरात कह रिया हूँ
सारी चमक को, खैरात कह रिया हूँ
अरे इतना गौर से, मत ना सुना करो
मैं सिर्फ अपने ख्यालात कह रिया हूँ
मैं सिर्फ अपने ख्यालात कह रिया हूँ