कल तलक तो मौहब्बत भी सवालो में थी

मियां कल तलक तो मौहब्बत भी सवालो में थी
अब मिली मुझे वो, जो आज तक ख्यालो में थी

न हकीकत, ना ख्वाब वो ना मेरे मुक्कदर में थी
उम्मीद से परे वो, एक मयखाने के प्यालो में थी

किसी को तारीफ तक भी ना मालूम थी उसकी
जनाब कल तो उसकी परछाई भी बबालो में थी

मेरे शहर, मेरे मौहल्ले में तो हमेशा थी मौहब्बत
कम्बख्त ये नफरत तो महज मेरे घरवालो में थी

गुनी कमियां गिनाता रहा, कम्बख्त मौहब्बत में
हकीकत में ,  कमी मौहब्बत के रखवालो में थी

#गुनी…

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