देखकर तीर्थ बद्री , काशी और हरिद्वार यहाँ पूजा को मन कर आया
खूब सुनी थी अंग्रेजी उर्दू और फारसी फिर हिंदी में भजन कर आया
बेहद अनमोल जन्म था , खुद काला – कोयला और मिट्टी कर डाला
शीश झुकाकर माता के चरणों में मैं अपना तन मन कुंदन कर आया
#गुनी…
मेरी अपनी कहानी