तब से लगता है कि,
ख्वाबो में तुम, निगाहो में तुम
बांहो में तुम, सांसो में तुम
रगो में तुम, खून में तुम
नदी में तुम, झरनो में तुम
खुशी में तुम, हंसी में तुम
शहर में तुम, गांव में तुम
धूप में तुम, छांव में तुम
मस्ती में तुम, मदहोशी में तुम
कल में तुम, आज में तुम
कागज में तुम, कलम में तुम
सागर में तुम, तरंगों में तुम
हास में तुम, व्यंग में तुम
सुर में तुम, संगीत में तुम
कस्ती में तुम, बस्ती में तुम
नहरो में तुम, लहरो में तुम
कली में तुम, फूल में तुम
होली में तुम, दिवाली में तुम
सावन में तुम, वैषाख में तुम
पूरव में तुम, पशिचम में तुम
जमीं में तुम, आसमां में तुम
पर्वत में तुम, पहाडो में तुम
किताबो में तुम, यादो में तुम
नाम में तुम, काम में तुम
हर जहां में तुम, हर कहां में तुम
डाल डाल पर तुम, पात पात पर तुम
खेतो में तुम, खलियानो में तुम
बस अब और क्या कहूँ
दिमाग में तुम, दिल में तुम
तुम्ही तुम, तुम्ही तुम, तुम्ही तुम