मेरे अपनो से ना कहना
मैं उसे अपना बना ना सका
मैं उसे कभी पा ना सका
मौहब्बत तो बहुत की है उसने
मैं बुजदिल, उसे एक पल को हंसा ना सका
मेरे अपनो से ना कहना
मैं उन्हें सुख से दो रात सुला ना सका
मैं उनके काम कभी आ ना सका
उपकार तो बहुत किए हैं उन्होंने
मैं लापरवाह, उनके यश को बढा ना सका
मेरे अपनो से ना कहना
मैं खुद को जमीं से उठा ना सका
मैं इस दुनिया को हरा ना सका
नेकी तो बहुत की हैं हमने
मैं नासमझ, खुद को बचा ना सका
मेरे अपनो से ना कहना