एक नादान कोशिश…
राजा राम की पावन भूमी, इसको मैला कर डाला है
दूध पिला कर सांपो को , और विषैला कर डाला है
बस दिल्ली सबको याद रहा और देश को भूल गए
अपनी अपनी बातो में वीरो के संदेश को भूल गए
आजाद भगत की अब किसी को कहानी याद नहीं
सीमा पर वो शीश कटे उनकी भी कुर्बानी याद नहीं
जरा वक़्त नहीं है याद करें जो झांसी वाली रानी को
हम राष्ट्र से ज्यादा चाहने लगे हैं मुन्नी की जवानी को
लगने लगा है रगो में अब बोस वाला रक्त नहीं है
देख लिया पर कोई सरकार जरा भी सक्त नहीं है
माना सत्ता चलाना भी , मिस्टर कोई खेल नहीं है
पर सच ये है अब तक गद्दी पर कोई पटेल नहीं है
होता तो, इस देश की नारी का सिंदूर सलामत होता
देश के बच्चे, बूढ़े और युवा का ग़ुरूर सलामत होता
दुनियां लुट जाये पर दिल्ली को कोई फिक्र नहीं है
सात मरे या मरे सौ, संसद में इसका जिक्र नहीं हैं
#गुनी…