ख्यालो ख्यालो में…
नजरो में मेरी दूर तक अश्को का दरिया
कुछ इस तरह का, जालिमो का कहर है
रात ही रात है , सूरज नजर नहीं आता
कौन जाने, ये कौन सा चल रहा पहर है
दूर-दूर तक कहीं भी इंसान नहीं मिलते
मालूम नहीं कमबख्त , ये कैसा शहर है
और ये जो बिक रहा है, मुर्दाघरो में भी
जरा बताओ मियां, ये भी कोई जहर है
#गुनी…