सुप्रभात मित्रो
हाज़िर है एक मुक्तक …. इशारा कहाँ है बेसक आप समझ जायेंगे इशारो की जुबां तो आती ही है आपको…
दाग है खूबसूरत चाँद में भी , कहीं चाँद को गुमान न हो जाए
भिन्न भिन्न है काया कहीं भेड़ बकरी एक समान न हो जाए
रोक ले जो हरकतों को , हो सका तो , माफ़ कर छोड़ दें
टकराएगा हिन्द से, कहीं बाग़ तेरे देश के शमशान न हो जाए
#गुनी…