दोस्ती का हाथ

दोस्ती ही थी वो, या बस तुमने भी मखोल उड़ाया था
किसी के दिए जख्मो को कुरेद कर नासूर बनाया था
आज और अब , सच बताना हमें , तुम जरा सोचकर
गुस्ताखी की थी, जो हमने दोस्ती का हाथ बढाया था

#गुनी …

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