शुभ संध्या
जिस दिन मुहब्बत झुक जाएगी मुहब्बत के सामने वो मंजर सुहाना होगा
कैद को न होगी जरुरत किसी जैल की, हाँ आँखों का पंजर बनाना होगा
वो वक़्त ही और था काफ़िर, जब गुनी को डुबाया हो सागर की लहरों ने
कर ना कोशिश क़त्ल की मेरे, अब तेरा हर पैतरा, हर खंजर पुराना होगा
#गुनी…