इजहार-ए-इश्क

तेरी फितरत से ही इतना झुलसा हुआ हूँ, क्या जरुरत है जलाने की
यादो में मर मर कर ही तो जी रहा हूँ अब क्या जरुरत है सताने की
कल ही तो मिले हम मीठे सपनो में जब इजहार-ए-इश्क किया था
मुझे तुझसे इश्क है तुझे मुझसे इश्क है तो क्या जरुरत है बताने की

#गुनी…

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