कलयुग है ये भाई, यहां सबरी के बेरो सा बेर नहीं मिलता
बड़ी बड़ी इमारतों के बीच, कहीं गांव का घेर नहीं मिलता
बचपन से ही मिलती है तालीम चुप होकर सब सहने की
यही कारण है आजकल घरो में, जवां भी शेर नहीं मिलता
#गुनी…
मेरी अपनी कहानी
कलयुग है ये भाई, यहां सबरी के बेरो सा बेर नहीं मिलता
बड़ी बड़ी इमारतों के बीच, कहीं गांव का घेर नहीं मिलता
बचपन से ही मिलती है तालीम चुप होकर सब सहने की
यही कारण है आजकल घरो में, जवां भी शेर नहीं मिलता
#गुनी…