माँ की महिमा गाने मैं आया हूँ
माँ क्या होती है ये बतलाने मैं आया हूँ
बचपन में रोता देख मुझे रोटी थी माँ
आज वो बचपन खो चुका हूँ
मगर उस माँ की याद दिलाने मैं आया हूँ
ठोकर ना लग जाये मेरे लाल तुझे
ये सोच सोचकर रातो में दिन खोजा करती थी मेरी माँ
आज वे राते तो नहीं
मगर उस माँ सा सहारे ढूँढने मैं आया हूँ
डगमगाते कदमो को ताकत देती थी मेरी माँ
उस छोटे से बालक में शूरवीर को देखा करती थी मेरी माँ
आज उन कदमो पर खड़ा हो चुका हूँ
मगर उस माँ के कंधो को हौसला देने मैं आया हूँ