मैं कौन तुम्हारी लगती हूँ

फिर से ये बालक एक कोशिश आप सभी के सम्मुख रखता है
प्रेम है तेरे मीठे शब्दों से , तुम बोली गुस्से से क्या तुम्हे मुरारी लगती हूँ
हमें आदत है तेरे तानो की और तुम कहती , तुमको मैं बीमारी लगती हूँ
शायद तुमको मालूम नहीं मैं पानी पीता हूँ , तो छाया तुम्हारी दिखती है 
रोज साँझ तस्वीर दिखे चंदा में और तुम पूछो, मैं कौन तुम्हारी लगती हूँ

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