नमस्कार मित्रो
बस यूँ ही …. मगर किसी ख़ास के लिए कल एक बार फिर सब यादे ताजा हो गयी और लगा वो वापस आ गयी बेहद खुश हूँ
मुझे बांध रखा है आज भी तेरे मासूम इशारो ने
तोडा है तोडा है मुझको कमबख्त इश्तिहारो ने
यकीं कर मेरा ऐ सनम, मैं आज भी अकेला हूँ
जब से अलग किया हमको धर्म के जमीदारो ने
मैं फिर कोशिश करता, तुझे अपना बनाने की
मगर मुझे रोक रखा है जिन्दगी के व्यापारों ने
मुझे याद है वो मुस्कान तेरी और कोमल स्पर्श
अब खुद से नफ़रत है इतना जलाया है अंगारों ने
वक़्त ही और था मुलाकात का बहाना होता था
मगर अब ‘गुनी’ को मूंद रखा है चंद दीवारों ने
#गुनी….