जुल्फों पे घनी, मैं नादान दीवाना हुआ
प्रेम की सजा, कि दुश्मन जमाना हुआ
फिर भी न छोड़ी, ये राहें, वो मंजिल
मैं दिखावा, ये दिल बस नजराना हुआ
मेरी अपनी कहानी
जुल्फों पे घनी, मैं नादान दीवाना हुआ
प्रेम की सजा, कि दुश्मन जमाना हुआ
फिर भी न छोड़ी, ये राहें, वो मंजिल
मैं दिखावा, ये दिल बस नजराना हुआ