ऐ गुस्ताख , चाँद की झूठी चाँदनी पर ऐतबार न कर
दुनियां परायो की है अपना समझ मगर प्यार न कर
और शतरंज का खेल खेलते हैं , परिंदे भी यहाँ पर
ठोकरें याद रख , पिछली गलती को बार बार न कर
#गुनी…
मेरी अपनी कहानी
ऐ गुस्ताख , चाँद की झूठी चाँदनी पर ऐतबार न कर
दुनियां परायो की है अपना समझ मगर प्यार न कर
और शतरंज का खेल खेलते हैं , परिंदे भी यहाँ पर
ठोकरें याद रख , पिछली गलती को बार बार न कर
#गुनी…